जमीन पर स्टे कैसे लगाये: जब भी किसी व्यक्ति के द्वारा किसी दुसरे व्यक्ति के जमीन पर अवैध कब्ज़ा किया जाता है और अवैध कब्ज़ा करने के बाद उस जमीन पर अवैध निर्माण कार्य या फिर किसी भी प्रकार का कार्य किया जाता है तो उसे अवैध कब्ज़ा या फिर प्रतिकूल कब्ज़ा कहा जाता है. ऐसे हालात में आदमी या पीड़ित आदमी कोर्ट में या फिर पुलिस स्टेशन में अवैध कब्जे की शिकायत करता है या कोर्ट में केस फाइल करता है. कोर्ट में केस फाइल करने के बाद अवैध कब्जे में कार्यवाही की जाती है. कार्यवाही होने के दौरान जब तक कोर्ट का अंतरिम फैसला नहीं आ जाता है तब तक उस जमीन पर होने वाले किसी भी काम या निर्माण कार्य पर रोक लगा दी जाती है. इस रोक को ही जमीन पर स्टे कहा जाता है.
इस आर्टिकल में Property Stay Order या जमीन पर स्टे कैसे लगाये जमीन पर स्टे लगाने का पूरा कानूनी प्रक्रिया इस आर्टिकल में स्टेप बाय स्टेप बताया गया है.
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प्रॉपर्टी पर स्टे क्या होता है?
अवैध रूप से किसी भी प्रॉपर्टी पर कब्ज़ा करना और जमीन पर अवैध कब्ज़ा करने के बाद उस जमीन पर अवैध कब्ज़ा करके कुछ निर्माण कार्य करना जैसे की मकान बनाना या फिर कुछ और काम करने पर रोक लगाने के लिए जो न्यायालय द्वारा आदेश जारी किया जाता है उसे जमीन पर स्टे कहा जाता है.
जब भी किसी की जमीन पर अवैध कब्ज़ा किया जाता है तो वह व्यक्ति अवैध कब्जे के खिलाफ कोर्ट में मुकदमा दायर करता है और फिर कोर्ट के आदेश के बाद पुलिस उस जमीन पर हो रहे अवैध निर्माण पर रोक लगाने का आदेश देती है जिसे स्टे आर्डर कहा जाता है.
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जमीन पर स्टे कैसे लगाये ?
प्रॉपर्टी स्टे आर्डर या फिर जमीन पर स्टे लगाने के लिए कानूनी प्रक्रिया को अपनाना होता है. उदाहरण के लिए ऐसे समझते है की आपकी कोई जमीन है और आपकी जमीन पर आपके पडोसी के द्वारा अवैध कब्ज़ा किया गया है और उस अवैध कब्जे में आपके पडोसी के द्वारा आपकी जमीन पर कुछ निर्माण कार्य किया जा रहा है. ऐसे में आप अवैध कब्ज़ा की शिकायत या फिर अवैध कब्ज़ा का केस कोर्ट में दायर करेंगे और उस जमीन पर स्टे आर्डर लगाने के लिए अवैध कब्जे में हो रहे अवैध निर्माण को रोकने लिए कोर्ट से जमीन पर स्टे आर्डर की अपील करेंगे.
ज़मीन पर स्टे कैसे मिलेगा ?
आपकी दायर की गई याचिका और दलीलों के आधार पर कोर्ट उस जमीन पर स्टे आर्डर जारी करता है. जमीन पर स्टे आर्डर लेने के लिए या जमीन पर स्टे लगाने के लिए आपको निम्न स्टेप्स को अपनाना होता है-
- अगर आपकी जमीन पर अवैध कब्ज़ा किया गया है और आप जमीन पर स्टे आर्डर लेना चाह रहे है तो इसके लिए सबसे पहले एक अच्छे अनुभवी वकील की तलाश करें या जमीन पर स्टे आर्डर लेने के लिए अच्छे वकील को हयार करें.
- वकील को अपनी संपत्ति या उस प्रॉपर्टी के सारे दस्तावेज दिखाएँ जिस प्रॉपर्टी या जमीन पर अवैध कब्ज़ा किया गया है और जिस जमीन पर स्टे आर्डर आप लेना चाह रहे है.
- जमीन पर स्टे लेने के लिए वकील सारी दस्तावेजो को तैयार करता है और फिर कोर्ट में अवैध कब्ज़ा और उस जमीन पर स्टे आर्डर लेने के लिए कोर्ट में याचिका दायर करता है.
- कोर्ट दोनों पक्षों को सम्मान भेजती है और फिर दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद उस जमीन पर यदि सच में अवैध कब्ज़ा किया गया है और अवैध निर्माण हो रहा है तो फिर कोर्ट उस जमीन पर स्टे आर्डर जारी करता है.
- कोर्ट के द्वारा जमीन पर स्टे आर्डर जारी करने के बाद सम्बंधित पुलिस को आदेश दिया जाता है की याचिकाकर्ता की जमीन से अवैध कब्ज़ा को हटाये और अवैध निर्माण को बंद कराये. लेकिन यदि कोर्ट को दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद ये लगता है की इस मामले में ज्यादा जाँच की जरूरत है तो कोर्ट ऐसे में वर्तमान में हो रहे जमीन पर निर्माण कार्य पर रोक लगाने का आदेश देती है और निर्माण कार्य को जब तक स्थगित किया जाता है जब तक कोर्ट का अंतरिम फैसला नहीं आ जाता है.
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प्रॉपर्टी पर स्टे लगाने के लिए जरूरी दस्तावेज
किसी भी प्रॉपर्टी पर स्टे आर्डर लेने के लिए जैसे की खेती की जमीन पर स्टे या फिर जमीन पर स्टे कैसे लगाएं या फिर जमीन पर स्टे कैसे लगाये या फिर विवादित जमीन पर स्टे या फिर विवादित जमीन पर स्टे कैसे लें इसके लिए कुछ जरूरी दस्तावेजो की जरूरत होती है. जमीन पर स्टे लगाने के लिए निम्न दस्तावेजो की जरूरत होती है-
- जमीन पर स्टे लगाने के लिए उस जमीन के सारे दस्तावेज जैसे की खसरा, नक्शा, खतौनी इत्यादि.
- अगर प्रॉपर्टी या जमीन का डायवर्सन हुआ है तो डायवर्सन की कॉपी.
- वकील के द्वारा तैयार किया गया स्टे आर्डर का प्रारूप.
- चालान या कोर्ट फीस.
- इत्यादि .
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ज़मीन पर स्टे आर्डर का पालन न करने से क्या होगा ?
कोर्ट के द्वारा जमीन पर स्टे के लिए जारी किया जाने वाला आदेश दोनों पक्षों के लिए जारी किया जाता है. दोनों पक्षों को कोर्ट के आदेश का पालन करना होता है. लेकिन अगर कोई पक्ष कोर्ट के आदेश की अवमानना करता है और कोर्ट के आदेश के बाद भी जमीन पर अवैध निर्माण कार्य करता है ऐसे में पुलिस प्रशासन के द्वारा उस आदमी को कोर्ट के स्टे आर्डर का उलंघन करने पर गिरफ्तार किया जा सकता है और उस पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है. ऐसे में उस व्यक्ति को सजा या जुर्माना दोनों भी हो सकते है.
कोर्ट के द्वारा जारी किया जाने वाला स्टे आर्डर कम से कम 6 महीनो के लिए मान्य होता है. इसके बाद इसे बढाया भी जा सकता है और जब तक कोर्ट का अंतरिम फैसला नहीं आ जाता है, तब तक किसी भी निर्माण कार्य को नहीं किया जा सकता.
जमीन स्टे आर्डर आर्डर लेने के लिए एक वकील की जरूरत होती है जो की सिविल मामलो और दीवानी मामलो में एक्सपर्ट हो. वकील कानूनी प्रक्रिया के हिसाब से जमीन पर स्टे लेने के लिए प्रोसेस करते है.
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जमीन पर स्टे कैसे हटायें ?
किसी जमीन पर स्टे लग जाने के बाद ये नहीं होता है की आप उस जमीन से स्टे नहीं हटा सकते है. बल्कि जमीन पर लगा हुआ स्टे एक कानूनी प्रक्रिया के द्वारा हटाया भी जा सकता है. जमीन से स्टे हटाने के लिए निम्न प्रक्रिया को अपनाना चाहिए और जमीन से स्टे हटाने के लिए निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए-
अगर आप जमीन के असली मालिक है और अवैध कब्ज़ा आपने नहीं किया है ऐसे आप कोर्ट में स्टे आर्डर को अपने valid दस्तावेजो के आधार पर वरिष्ठ कोर्ट में चैलेंज भी कर सकते है. वकील के द्वारा कोर्ट के आदेश को वरिष्ठ कोर्ट में चैलेंज करने के लिए अपील बनाई जाती है. अगर आप सच में सही दतावेजो और दलीलों के साथ कोर्ट के जमीन पर स्टे आर्डर को वरिष्ठ न्यायालय में चैलेंज किया जा सकता है.
इसके विपरीत आप अपने विपक्षी से आपसी सहमती से भी कोर्ट के स्टे आर्डर को हटा सकते है. इसके लिए आपको विपक्षी पार्टी से सहमती करते हुए एक सहमती मसौदा तैयार करना है और उसे कोर्ट में देना है.
सहमती में साथ दोनों पार्टी को कोर्ट में स्टे आर्डर हटाने के लिए याचिका देना है. दोनों पार्टी के सहमती पर कोर्ट उस जमीन पर लगे हुए स्टे आर्डर को समाप्त कर सकता है.
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जमीन पर स्टे हटाने के लिए निम्न बातों का ध्यान रखे
- अपनी जमीन से स्टे हटाने से पहले ये सुनिश्चित कर लेवें की आपके पास उस जमीन के पर्याप्त दस्तावेज है और इसके लिए आप एक अनुभवी वकील से सहायता के सकते है.
- आपके पास जमीन के सारे वाजिब दस्तावेज होने चाहिए.
- अगर सहमती से जमीन से स्टे आर्डर हटाने के लिए याचिका दायर की गई है तो फिर दोनों पक्षों को कोर्ट में हाज़िर होना होता है.
- कोर्ट के स्टे आर्डर को वरिष्ठ कोर्ट में चैलेंज करने के लिए भी आपके पास पर्याप्त सबूतों और दस्तावेजो के साथ साथ अच्छा वकील और दलील का होना जरूरी है.
ज़मीन पर स्टे आर्डर से सम्बंधित FAQ
Q. प्रॉपर्टी पर स्टे क्या होता है?
अवैध रूप से किसी ज़मीन पर कब्ज़ा करके अगर निर्माण कार्य किया जा रहा है तो उसे रोकने के लिए कोर्ट से आदेश जारी किया जाता है जिसे स्टे आर्डर कहा जाता है.
Q. जमीन पर स्टे लगवाने के लिए क्या करे?
किसी भी जमीन पर स्टे लगवाने के लिए जमीन के सारे ओरिजिनल दस्तावेजो के आधार पर एक वकील की सहायता से कोर्ट में याचिका दायर करना होता है.
Q. प्रॉपर्टी पर स्टे लगाने के लिए जरूरी दस्तावेज
ज़मीन पर स्टे लगाने के लिए जमीन के सभी दस्तावेजो के साथ साथ वकील का स्टे आर्डर याचिका आवेदन और साथ ही साथ गवाहों की भी जरूरत पड़ सकती है.
Q. ज़मीन पर स्टे कैसे मिलेगा
प्रॉपर्टी या जमीन पर स्टे लेने के लिए सारे दस्तावेजो के आधार पर कोर्ट में याचिका दायर करना होता है.
Q. स्टे आर्डर का पालन न करने पर क्या होगा?
कोर्ट के स्टे आर्डर का पालन न करने पर सजा जुर्माना या फिर सजा या जुर्माना दोनों हो सकते है.
Q. जमीन पर स्टे कैसे लगाये
प्रॉपर्टी पर स्टे लगाने के लिए पहले ये सुनिश्चित करें की क्या सच में जमीन पर स्टे लगाना चाहिए या झूठा स्टे आप लगा रहे है. अगर सच में सही अवैध कब्ज़ा हो रहा है तो फिर प्रॉपर्टी या जमीन पर स्टे लेने के लिए सारे दस्तावेजो के आधार पर कोर्ट में याचिका दायर करना होता है.
Q. जमीन पर स्टे ऑर्डर कैसे लिया जाता है?
वकील की सहायता से एक जमीन पर स्टे आर्डर लेने के लिए उस जमीन के सारे दस्तावेजो के आधार पर कोर्ट में आवेदन करना होता है.
Q. ज़मीन पर स्टे आर्डर का पालन न करने से क्या होगा
जैसा की ऊपर बताया गया है की कोर्ट के स्टे आर्डर का पालन न करने पर सजा जुर्माना या फिर सजा या जुर्माना दोनों हो सकते है.
Q. जमीन का स्टे कितने दिन का होता है?
अमूमन कोर्ट का स्टे आर्डर 6 महिना का होता है. लेकिन इसे बढाया भी जा सकता है.
Q. जमीन पर स्टे कैसे हटायें
अगर आप जमीन के असली मालिक है और अवैध कब्ज़ा आपने नहीं किया है ऐसे आप कोर्ट में स्टे आर्डर को अपने valid दस्तावेजो के आधार पर वरिष्ठ कोर्ट में चैलेंज भी कर सकते है. वकील के द्वारा कोर्ट के आदेश को वरिष्ठ कोर्ट में चैलेंज करने के लिए अपील बनाई जाती है. अगर आप सच में सही दतावेजो और दलीलों के साथ कोर्ट के जमीन पर स्टे आर्डर को वरिष्ठ न्यायालय में चैलेंज किया जा सकता है.